बच्चे का ज्यादा रोना भी कभी कभी खतरनाक हो सकता हैं।
बच्चे के अधिक रोने के कई कारण हो सकते हैं । अगर बच्चा भूखा है उसे नींद आ रही है या उसकी तबीयत में किसी तरह की परेशानी है तो बच्चा रोता है और परेशान होता है ।
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crying baby
सामान्यत: नवजात बच्चे में बहुत ज्यादा रोने की आदत देखी गई है । एक नवजात शिशु 24 घंटे में अधिक से अधिक 3-4 घंटे रोए तो उसे सामान्य माना जाता है ,परंतु यदि बच्चा इससे अधिक समय तक होता है तो आपको उस पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है ।
1 से लेकर 6 महीने तक के बच्चे में रात में रोने की आदत अधिक पाई जाती है ।
सामान्यत: ये भूख से ही रोते हैं । लेकिन अगर पेट भरा होने के बाद भी बच्चा रो रहा है तो उसे जरूर कोई समस्या है ।
घर में एक छोटा बच्चा आए यह हर मां बाप की ख्वाहिश होती है । जब बच्चा खुश रहता है तो पूरा परिवार खुश रहता है ।
लेकिन अगर बच्चे को कोई समस्या हो जाए और बच्चा ज्यादा रोने लगे तो उस बच्चे के पीछे पूरा परिवार दुखी हो जाता है । बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए वह अपनी समस्या को बता नहीं पाते ।
और बच्चों के पास बिना बोले अपनी समस्या बताने का सिर्फ एक ही तरीका होता है , और वह है , रोना । इसलिए बच्चा भूखा हो तो भी वह रोता है ।और अगर कोई और समस्या हो तो भी बच्चा रोता है ।
आइए आज हम बात करते हैं कि ऐसे क्या क्या कारण होते हैं जिनकी वजह से बच्चे ज्यादा रोते हैं ।
बच्चे का पेट न भरना
अगर बच्चा भूखा है और उसका पेट नहीं भरता है तो हर समय रोता ही रहेगा ।
bachcha rota kyu hai
अक्सर देखा गया है कि पहला बच्चा होने के बाद महिलाओं में ज्यादा दूध नहीं उतरता । इसका कारण यह होता है कि कुछ महिलाओं में delivery के तुरंत बाद breast में पाई जाने वाली milk glands पूरी तरह से एक्टिव नहीं हो पाती है , जिसके कारण मां का दूध , बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं होता , और बच्चे का पेट नहीं भर पाता जिसके कारण बच्चा रोता रहता है ।
यह समस्या महिला में delivery के तुरंत बाद से लेकर एक या दो हफ्ते तक रह सकती है ।
वैसे तो मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है , परंतु यदि मां को पर्याप्त दूध नहीं हो रहा है जिससे बच्चे का पेट भर सके , तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करके , डॉक्टर के निर्देशानुसार कोई और दूध बच्चे को दिया जा सकता ।
अगर यह समस्या , delivery के तुरंत बाद की है , तो दो-चार दिन तक बच्चे को मां के दूध के साथ साथ कोई और भी दूध देना चाहिए , और जब धीरे-धीरे मां को पर्याप्त दूर होने लगे , तो बाहर का दूध बंद कर के बच्चे को कम से कम 6 महीने तक मां का दूध जरूर देना चाहिए ।
मां के दूध में पाए जाने वाले तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है मां के दूध के सेवन से बच्चा अंदर से स्ट्रांग बनता है और साथ ही साथ खुश भी रहता है । मां का दूध बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है ।
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मां के दूध का अधिक सेवन करने वाले बच्चों की तुलना में मां के पर्याप्त दूध का सेवन न करने वाले बच्चे , अधिक चिड़चिडे होते हैं , और उन में गुस्से की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है ।
साथ ही साथ इन बच्चों में , बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की क्षमता उन बच्चों की अपेक्षा कम पाई जाती है ।
मां के दूध का पर्याप्त सेवन न करने वाले बच्चों में नींद की समस्या भी देखी गई है , जो बच्चे मां के दूध का पर्याप्त सेवन नहीं कर पाते हैं वह अधिक गहरी और अच्छी नींद नहीं ले पाते । जिसका असर उनके पास जनपद भी पड़ता है , और उन्हें हमेशा पेट की समस्या बनी रहती है ।
ऊपर बताई गई बातों का सीधा संबंध इस बात से है कि बच्चा क्यों रोता है । इसलिए बच्चे का पेट भरना जरूरी है , बच्चे का पेट भरा होगा तो खुश रहेगा और खेलेगा ।
बच्चा खुश रहेगा तो पूरा परिवार खुश रहेगा। इसलिए हमेशा बच्चे की भूख को समझने की कोशिश करिए ।
हर बच्चे की भूख अलग होती है , कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनको बहुत जल्दी जल्दी भूख लगती है और कुछ बच्चों को इतनी जल्दी नहीं लगती ।
इसलिए आपके बच्चे की भूख लगने की प्रवृत्ति क्या है इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए ।
बच्चे को भूख लगती है या बच्चा भूख से रोता है यह एक कारण है , लेकिन सिर्फ यही एक कारण नहीं है और भी ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से बच्चा जरूरत से ज्यादा रोता है ।
तो आइए जान लेते हैं बच्चे रोते क्यों हैं ? और कौन कौन से कारण हैं जिनकी वजह से बच्चा बहुत ज्यादा रोता है ।
बच्चे को पेट की समस्या होना / गैस की समस्या होना
अक्सर देखा गया है कि बच्चों को गैस की समस्या हो जाती है । यह समस्या ज्यादा नवजात शिशुओं में होती है या 1 महीने से लेकर 6 महीने और 1 साल तक के बच्चों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है ।
छोटे बच्चे जो सिर्फ दूध पीते हैं , उन में गैस की समस्या ज्यादा होती है । कुछ बच्चों में दूध को पचाने की क्षमता थोड़ी कम होती है ।जिसके कारण उनको पेट में दर्द या गैस की समस्या हो जाती है ।
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यह समस्या नवजात शिशुओं में या लगभग 6 महीने 1 साल तक के बच्चों में इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि वह दौड़ भाग नहीं सकते हैं वह एक जगह लेटे रहते हैं इसलिए उनको पेट में गैस की समस्या हो जाती है ।
वैसे तो नवजात शिशुओं में में गैस की समस्या एक सामान्य समस्या है ,और यह सामान्यतया अपने आप ठीक हो जाती हैं, या फिर कुछ घरेलू नुस्खा का उपयोग करके इस समस्या का समाधान पाया जा सकता है ।
परंतु जब यह समस्या अधिक हो और आपको लगे कि घरेलू नुस्खों से आपके बच्चे को आराम नहीं मिल रहा है , तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
बच्चों के गैस या पेट की समस्या को घरेलू नुस्खा से काफी हद तक ठीक किया जा सकता है ।
जैसे कि हींग का पानी लगाना बच्चे के पेट पर , या फिर जब बच्चे का मसाज कर रहे हो तो बच्चे के पेट का हल्के हाथों से गोल गोल मसाज करना , मसाज की टाइम बच्चों के हाथ और पैर की अच्छे से एक्सरसाइज कराना ।
यह सारे नुस्खे पुराने जमाने से चले आ रहे हैं जो हमारी और आपकी दादी , नानी ने हमें विरासत में दिया है । यह नुस्खे कितने आसान हैं उतने ही कारगर भी हैं , लेकिन इन नुस्खों को अप्लाई करते टाइम आपको कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ।
यह सावधानियां हैं , कि अगर आप बच्चे का मसाज कर रहे हैं तो मसाज हमेशा हल्के हाथों से ही करना चाहिए , क्योंकि , छोटे बच्चे बहुत ही नाजुक और कोमल होते हैं और उनका शरीर , उनकी हड्डियां और उनकी मांसपेशियां बहुत ही नाजुक होती हैं , इसलिए बच्चे का मसाज हल्के हाथों से बहुत आराम आराम से करना चाहिए ।
पेट का मसाज करते समय हमेशा किसी अच्छी क्वालिटी का मसाज ऑयल लेकर उसे बच्चे की नाभि के आसपास लगाकर नाभि के चारों तरफ गोल गोल हल्के हाथों से मसाज करना चाहिए । इस तरह से थोड़ी देर मसाज करने से बच्चे को गैस में राहत मिलेगी ।
जब भी आप बच्चे का मसाज करें आप पेट का मसाज किस तरह से गोल गोल घुमा कर जरूर करें । इस टेक्निक से बच्चे का डाइजेशन स्ट्रांग होता है और बच्चे को गैस की समस्या नहीं होती है ।
मसाज के लिए मसाज ऑयल का चुनाव हमेशा मौसम के अनुसार करें । अगर गर्मियों का मौसम है तो आप कोशिश करें कि नारियल या किसी ठंडी तासीर वाले तेल से ही बच्चे की मालिश करें ।
और अगर सर्दियों का मौसम है तो हमेशा बच्चों को गर्म तासीर वाले तेल से ही मालिश करनी चाहिए । गर्म तासीर वाले तेल में आप सरसों का तेल जिसे मस्टर्ड आयल बोलते हैं या जैतून का तेल भी ले सकते हैं ।
यदि आपके बच्चे को गैस की समस्या हमेशा रहती है तो आप उसे दिए जाने वाले दूध को थोड़ा पतला करके दें ।
क्योंकि अधिक गाढ़ा दूध पीने से बच्चों में गैस की समस्या हो जाती है । अधिक गाढ़ा दूध आसानी से डाइजेस्ट नहीं होता जिसके कारण बच्चों में गैस की समस्या हो सकती है ।
अगर आपका बच्चा 2 महीने से अधिक उम्र का है तो आप उसे सिर्फ दूध पर ना रखें , दूध के साथ ही साथ थोड़ा-थोड़ा ठोस आहार भी देना शुरू करें ।
दूध के साथ साथ ठोस आहार , जैसे की दलिया , दाल का पानी , साबूदाना , या खिचड़ी इत्यादि देने से बच्चों में गैस की समस्या कम हो जाती है ।
जब बच्चे में गैस की समस्या नहीं रहेगी , उसका डाइजेशन अच्छा रहेगा तो बच्चा हमेशा खुश रहेगा।
बच्चे नींद पूरी न होना
अगर आपके बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी। तो वह खुद भी परेशान होगा और आपको भी परेशान करेगा । 1 साल तक के बच्चे को 24 घंटे में कम से कम 10 से 12 घंटे की नींद लेना आवश्यक है ।
बच्चे हों या बड़े पर्याप्त नींद सबके लिए आवश्यक है । परंतु बच्चों के लिए पर्याप्त नींद लेना अत्यंत आवश्यक होता है , पर्याप्त और गहरी नींद लेने वाले बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास सामान्यतः अच्छा देखा गया है ।
जो बच्चे अधिक गहरी और अच्छी नींद लेते हैं उन बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में शारीरिक और मानसिक विकास काफी अच्छा होता है ।
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पर्याप्त नींद लेने वाले बच्चे , मोटापे और इन्फेक्शन जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं । बच्चों के मानसिक विकास के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत ही ज्यादा जरूरी है ।
बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास की प्रक्रिया सोते समय अधिक सक्रिय होती है, इसलिए बच्चा जितनी गहरी और अच्छी नींद लेगा उसका विकास उतना ही अच्छा होगा ।
छोटे बच्चों में रात में जगने और दिन में सोने की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है , तो इससे परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है ।
बच्चे की नींद पूरी होना जरूरी है चाहे वह दिन में सोए या रात में। अगर आपका बच्चा दिन में अच्छी गहरी और लंबी नींद लेता है , तो आप उसे सोने दे ।
कई बार मां को ऐसा लगता है , कि बच्चा दिन में अधिक सो रहा है तो उसे कोई समस्या तो नहीं है , तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ।
आपका बच्चा अगर पूरे रात और दिन मिलाकर 12 से 14 घंटे सो रहा है , तो यह बिल्कुल ही सामान्य है इसमें परेशान होने की कोई भी बात नहीं है , बल्कि आपके बच्चे की सेहत के लिए और भी अच्छा है ।
लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि अगर आपका बच्चा देर तक सो रहा है , तभी इस बीच में उसे आप दूध या पानी देते रहें ।
छोटे बच्चे को हर 2 से 3 घंटे में कुछ ना कुछ खाने पीने को देना चाहिए । बच्चे के डाइजेशन और पेट के लिए बहुत अच्छा है , और साथ ही साथ जब बच्चे का पेट भरा रहेगा तो उसे अच्छी और गहरी नींद आएगी ।
और जब बच्चे की नींद पूरी रहेगी तो आपको बिल्कुल भी परेशान नहीं करेगा और ना ही रोएगा ।
Diaper rashes होना
कभी-कभी बच्चों को डायपर रैश हो जाते हैं , जिस पर हमारा ध्यान नहीं जाता है, इसलिए बच्चा रोता है । बच्चों में डायपर रैश एक आम समस्या है ।
अक्सर देखा गया है , कि कुछ लोग बच्चों को एक डायपर में काफी समय तक रखते हैं , जिसके कारण बच्चों में rashes हो जाते हैं , इसलिए हर 1:30 से 2 घंटे में बच्चों के डायपर को बदलते रहना चाहिए ।
इससे बच्चों में गीलेपन की वजह से होने वाले rashes से छुटकारा पाया जा सकता है ।
जरूरी नहीं है कि डायपर रैश की समस्या मार्केट में मिलने वाले डायपर्स की वजह से ही होती है । घर में कपड़े से बने डायपर से भी यह समस्या हो सकती है ।
अगर आपने ध्यान नहीं दिया और बच्चा गीले डायपर में ज्यादा समय तक पड़ा रहा , तो उसे डायपर रैश की समस्या हो सकती है ।
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गर्मियों के मौसम में डायपर रैश की समस्या अधिक होती है । हर बार डायपर पहनाने से पहले डायपर क्रीम या पाउडर का उपयोग जरूर करें ।
बच्चों में diaper rash से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों को हमेशा डायपर पहनाने से पहले नारियल तेल लगाएं ।
नारियल तेल में एंटी बैक्टीरियल एंटी फंगल प्रॉपर्टीज होती है जिसकी वजह से बच्चों में डायपर रैश नहीं होता ।
बच्चे को जब डायपर रैश की समस्या नहीं रहेगी तो वह खुश रहेगा और आपको भी खुश रखेगा ।
यहां हमने बात किया कि बच्चे रोते क्यों हैं ? यहां हमने उन सभी कारणों पर चर्चा की जिसकी वजह से बच्चे ज्यादा रोते हैं ।
लेकिन अगर इन सब समस्याओं के समाधान हो जाने के बाद भी आपका बच्चा लगातार रो रहा है , तो आपको बिना किसी देरी के तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
हो सकता है आपके बच्चे को कोई और समस्या हो , जिसका समाधान एक डॉक्टर ही कर सकता है ।
इसलिए अंत में मैं इतना ही कहूंगी अपने बच्चे का ख्याल रखें उसको खुश रखें और वह आपको खुश रखेगा ।